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चुनावी लॉलीपॉप बनाम ज़मीनी हकीकत: 8 साल में पिछड़ता गया फर्रुखाबाद, विकास केवल कागज़ों तक सीमित
– सड़कें टूटी, नालियां बजबजाती रहीं, बिजली के तार जानलेवा बने, फिर भी 400 करोड़ के ‘घोषणाएं’ जारी
शरद कटियार
फर्रुखाबाद। विधानसभा चुनाव 2027 नज़दीक आते ही फर्रुखाबाद में घोषणाओं और वादों की बौछार शुरू हो चुकी है। 400 करोड़ की फोरलेन सड़क, रेलवे ओवरब्रिज और संकीसा को पर्यटन स्थल का दर्जा—ऐसे कई सपने जनता को दिखाए जा रहे हैं। लेकिन जब बीते 8 वर्षों की हकीकत पर नज़र डालते हैं तो फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेश के सबसे पिछड़े ज़िलों में गिना जा रहा है।
जनपद की जर्जर सड़कों से लेकर बजबजाती नालियों तक, हर मोर्चे पर नगर की हालत बद से बदतर रही। पांचाल घाट सुंदरीकरण योजना वर्षों से अधर में लटकी है। वहीं, ऐतिहासिक श्री रामनगरिया मेले को राजकीय दर्जा देने की घोषणा केवल फाइलों तक सीमित रही है। न कोई स्पष्ट नीति, न कोई ठोस कदम।
बिजली के तार जानलेवा, खंभे सड़कों पर आज भी अडिग
फतेहगढ़-फर्रुखाबाद मुख्य मार्ग पर अभी भी जानलेवा बिजली के खंभे बीच सड़क पर लोगों की जान के लिए खतरा बने हुए हैं। बार-बार की मांगों के बावजूद इन्हें हटाने की कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। वहीं ज़िले में कई जगहों पर बिजली की पुरानी जर्जर लाइनें कभी भी बड़ा हादसा करा सकती हैं, लेकिन प्रशासनिक संवेदनशीलता का अब तक कोई प्रमाण नहीं दिखा।
इलेक्ट्रिक श्मशान की मांग वर्षों से अधूरी
शहरी जनसंख्या और बढ़ते हादसों को देखते हुए इलेक्ट्रिक श्मशान घाट की मांग वर्षों से की जा रही है, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हुई। गरीब, दलित व बुज़ुर्ग नागरिकों के लिए यह एक बड़ी ज़रूरत है, जिसे पूरी तरह अनदेखा किया जा रहा है।
400 करोड़ की योजनाओं की घोषणा करने वाले नेताओं से जनता यह सवाल कर रही है कि क्या पिछले 8 वर्षों में कोई ठोस काम हुआ? क्या कोई वादा पूरा किया गया? या फिर एक बार फिर केवल चुनावी लॉलीपॉप देकर वोट की फसल काटने की तैयारी है?
अब जनता सवाल पूछ रही है। विकास के नाम पर सिर्फ नारों और पत्थर की पट्टिकाओं का दौर खत्म होना चाहिए। फर्रुखाबाद को सिर्फ वादों की नहीं, वास्तविक विकास योजनाओं की ज़रूरत है, जिनका असर ज़मीन पर दिखे।
जनता अब जान चुकी है—विकास सिर्फ भाषणों से नहीं, बल्कि ईमानदार क्रियान्वयन से आता है।