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विद्यालय बंदी के विरोध में जन अधिकार पार्टी ने राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन, कहा – “शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन”
फर्रुखाबाद। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के 50 से कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद कर आसपास के विद्यालयों में मर्ज किए जाने के फैसले का विरोध तेज़ हो गया है। जन अधिकार पार्टी ने इस निर्णय के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा और आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की है।
धरना प्रदर्शन के साथ जताया विरोध
पार्टी पदाधिकारियों ने कलेक्ट्रेट मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन कर सरकार की इस नीति को गरीब, किसान और मजदूर तबके के बच्चों के लिए घातक बताया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय सीधे तौर पर शिक्षा के अधिकार (RTE) और अनिवार्य शिक्षा कानून का उल्लंघन है।
इन विद्यालयों को चरणबद्ध तरीके से बंद किया जा रहा है और बच्चों को दूरस्थ विद्यालयों में भेजने की योजना बनाई जा रही है।
इससे गरीब व ग्रामीण परिवेश के बच्चों को 2 से 5 किलोमीटर दूर तक पढ़ाई के लिए जाना पड़ेगा, जो उनके लिए व्यवहारिक नहीं है।
सरकार यदि चाहती तो इन विद्यालयों में योग्य शिक्षक, आधारभूत सुविधाएं और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर देकर छात्र संख्या में वृद्धि कर सकती थी।
जन अधिकार पार्टी ने कहा कि यह नीति ग्रामीण शिक्षा को कमजोर करने और गरीब तबके को शिक्षा से दूर करने की एक साजिश प्रतीत होती है। ऐसे में इस फैसले को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।
इस विरोध प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपने की अगुवाई जिला अध्यक्ष प्रभात शाक्य ने की। इस अवसर पर प्रमुख रूप से श्याम शाक्य, राजवीर सिंह शाक्य, धर्मेंद्र कुशवाहा, राम अवतार, शिवरतन, देव सिंह राजपूत, डॉ. केपी सिंह, बुद्धदेव कुशवाहा, डॉ. नरेंद्र शाक्य, सुरेश कठेरिया, साहिल कुमार शाक्यवार समेत कई अन्य पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित रहे।