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रेलवे दोहरीकरण से खुलेगा विकास का नया मार्ग
शरद कटियार
रेल मंत्रालय द्वारा कानपुर से फर्रुखाबाद तक की रेलवे लाइन के दोहरीकरण को स्वीकृति मिलना एक मत्वपूर्ण और दूरदर्शी निर्णय है, जो न केवल इस क्षेत्र के यात्री और माल परिवहन को गति देगा, बल्कि विकास की धुरी को भी मजबूत करेगा।
यह परियोजना जिस तरह से चार चरणों में क्रमबद्ध की गई है, उससे यह स्पष्ट है कि सरकार रेलवे अधोसंरचना को एक दीर्घकालिक रणनीति के तहत उन्नत करने की दिशा में अग्रसर है। पहले चरण में मथुरा से कासगंज, दूसरे में मंधना से अनवरगंज, तीसरे में मंधना से फर्रुखाबाद और अंततः चौथे चरण में फर्रुखाबाद से कासगंज तक लाइन दोहरीकरण किया जाएगा।
यह पूरा रेलमार्ग न केवल कानपुर जैसे महानगर को छोटे शहरों और कस्बों से बेहतर जोड़ेगा, बल्कि इससे कासगंज, फर्रुखाबाद, कन्नौज, एटा, हाथरस और मथुरा जैसे ज़िलों को सीधे तौर पर आर्थिक एवं सामाजिक रूप से बल मिलेगा। इन शहरों में व्यापारिक गतिविधियों में बढ़ोतरी के साथ-साथ स्थानीय लोगों के रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होगी।
वर्तमान में एकल रेलवे लाइन की वजह से कई बार ट्रेनों को लेट होना पड़ता है, और मालगाड़ियों को प्राथमिकता देने के चलते यात्रियों को असुविधा होती है। दोहरीकरण से न केवल ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जा सकेगी, बल्कि समयबद्धता और परिचालन क्षमता भी सुधरेगी। विशेष रूप से कानपुर शहरी खंड, जो अत्यधिक दबाव में रहता है, वहां यह परियोजना राहत का काम करेगी।
सवाल केवल कनेक्टिविटी का नहीं है, बल्कि यह एक सुव्यवस्थित क्षेत्रीय विकास मॉडल की नींव है, जो रेल के माध्यम से दूरस्थ जिलों को मुख्य आर्थिक धारा में लाने का काम करेगा।
रेल मंत्रालय से अपेक्षा है कि यह परियोजना केवल कागज़ी मंज़ूरी बनकर न रह जाए, बल्कि समयबद्धता के साथ जमीनी स्तर पर कार्य शुरू हो और दो वर्षों के भीतर सभी चरणों को पारदर्शिता और गुणवत्ता के साथ पूरा किया जाए।
जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को भी चाहिए कि वे इस परियोजना की निगरानी और स्थानीय भागीदारी सुनिश्चित करें ताकि यह परिवर्तनकारी योजना धरातल पर भी उतनी ही सार्थक हो जितनी नीति स्तर पर प्रतीत होती है।
शरद कटियार